Option Chain Kya Hai: स्टॉक मार्केट में निवेश और ट्रेड करना थोड़ा सा पेचीदा तोह हो सकता है, खासकर अगर आपको इसकी सही जानकारी न हो तो। ऐसे में “ऑप्शन चैन” एक ऐसा टूल है जो आपकी मदद कर सकता है स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग करने में। दोस्तों यह टूल उन लोगों के लिए खासतौर पर बेहद जरूरी है जो ऑप्शंस में ट्रेडिंग करते हैं। ऑप्शन चैन की जानकारी से आप किसी भी स्टॉक के बारे में सही और महत्वपूर्ण जानकारी पा सकते हैं, जिससे आप बेहतर निवेश और ट्रेड के फैसले ले सकते हैं। जिससे आप स्टॉक मार्केट से ट्रेडिंग या इन्वेस्टिंग करके अच्छा खासा प्रॉफिट कमा सकते है।
Option Chain Kya Hai
दोस्तों अगर आप ऑप्शन चैन के बारे में नहीं जानते, तो चलिए समझते हैं ऑप्शन चेन क्या होता है। ऑप्शन चैन एक तरह की तालिका (टेबल) होती है जिसमें किसी खास स्टॉक या इंडेक्स के सभी ऑप्शंस की जानकारी दी जाती है। इसमें आपको कॉल और पुट ऑप्शंस के बारे में पूरी जानकारी मिलती है, जैसे कि उनके स्ट्राइक प्राइस, बिड, आस्क, ओपन इंटरेस्ट और भी बहुत कुछ।
ऑप्शन चैन का उपयोग क्यों करें?
ऑप्शन चैन का सही से इस्तेमाल करके आप यह जान सकते हैं कि बाजार में किसी स्टॉक के बारे में क्या हलचल है। उदाहरण के लिए, आप देख सकते हैं कि लोग किस स्ट्राइक प्राइस पर ज्यादा खरीददारी या बिकवाली कर रहे हैं। इसके अलावा, आप ओपन इंटरेस्ट और वॉल्यूम जैसी जानकारी से भी बाजार की स्थिति को समझ सकते हैं।
कैसे पढ़ें ऑप्शन चैन?
दोस्तों ऑप्शन चैन पढ़ना शुरुआत में थोड़ा मुश्किल लग सकता है, लेकिन इसे समझने के बाद आप आसानी से इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें बिड और आस्क प्राइस, स्ट्राइक प्राइस, और ओपन इंटरेस्ट जैसे डेटा होते हैं जो यह बताते हैं कि किस ऑप्शन का प्रीमियम कितना है और बाजार में कितनी मूवमेंट हो रही है। इससे आपको मदद मिलती है कि आप अपने ट्रेडिंग और निवेश के फैसले को बाजार की current situation के अनुसार सही डायरेक्शन में ले जा सकें।
आप NSE इंडिया या निफ्टी ट्रेडर की वेबसाइट पर जाकर ऑप्शन चैन की जानकारी देख सकते हैं और इसका प्रैक्टिकल उपयोग कर सकते हैं। इससे आपको ऑप्शन चैन को समझने में और भी आसानी होगी। हमे उम्मीद है कि अब आपको ऑप्शन चैन के बारे में एक बेहतर समझ मिली होगी।
ये है ऑप्शन चैन के जरुरी पार्ट्स
दोस्तों ऑप्शन चैन में कई ऐसे पार्ट्स होते है जैसे कॉल ऑप्शंस, पुट ऑप्शंस, स्ट्राइक प्राइस, ओपन इंटरेस्ट, इन-द-मनी, एट-द-मनी, आउट-ऑफ-द-मनी आदि जिन्हे समझना आपके लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है , लेकिन अगर हम इन्हें आसान भाषा में समझें तो आप आसानी से इन्हे समझ पाएंगे, आइये यहाँ हम ऑप्शन चैन से जुड़े इन जरुरी पार्ट्स को सरल भाषा में समझे:
कॉल ऑप्शंस (Call Options)
कॉल ऑप्शंस को ऐसे समझें जैसे एक प्रकार की डिस्काउंट कूपन । दोस्तों मान लीजिए, आपके पास एक कूपन है, जो आपको भविष्य में एक चीज़ को सस्ते दाम पर खरीदने का हक देता है, लेकिन आपको इसे खरीदना ज़रूरी नहीं है।
उदाहरण के लिए, अगर आपको लगता है कि किसी कंपनी के स्टॉक/Index की कीमत आने वाले दिनों में बढ़ने वाली है, तो आप कॉल ऑप्शन खरीद सकते हैं। इसका मतलब है कि आपको एक तय कीमत पर स्टॉक खरीदने का अधिकार मिलता है। जब कीमत बढ़ जाएगी, तब आप उस स्टॉक को उस तय कीमत पर खरीद सकते हैं, जो आपके लिए सस्ता होगा। इससे आपको फायदा होगा क्योंकि आप स्टॉक को बाजार की बढ़ी हुई कीमत से कम कीमत पर खरीद पाएंगे।
आसान शब्दों में कहें तो, कॉल ऑप्शन आपको एक खास कीमत पर भविष्य में स्टॉक खरीदने का अधिकार देता है, लेकिन आपको इसे खरीदने की ज़रूरत नहीं होती।
पुट ऑप्शंस (Put Options)
दोस्तों ट्रेडिंग में पुट ऑप्शंस एक ऐसा टूल है जो आपको भविष्य में किसी स्टॉक/इंडेक्स को एक तय कीमत पर बेचने का अधिकार देता है। इसका मतलब यह है कि अगर आपको लगता है कि किसी स्टॉक की कीमत आने वाले समय में कम हो जाएगी, तो आप पुट ऑप्शन खरीद सकते हैं।
उदाहरण से मझे तो, मान लीजिए कि आप सोचते हैं कि एक स्टॉक/इंडेक्स की कीमत अभी 100 रुपये है, लेकिन भविष्य में यह गिरकर 80 रुपये हो जाएगी। तो अगर आपने पुट ऑप्शन खरीदी है, तो आप उस स्टॉक को 100 रुपये की कीमत पर बेच सकते हैं, भले ही बाजार में उसकी कीमत गिरकर 80 रुपये न हो गई हो। इस तरह, पुट ऑप्शंस का फायदा यह होता है कि आप गिरती हुई कीमतों से लाभ कमा सकते हैं और अपने नुकसान को कम कर सकते हैं।
स्ट्राइक प्राइस (Strike Price)
मान लीजिए, आपने एक कॉल ऑप्शन खरीदी है जिसमें स्ट्राइक प्राइस 100 रुपये का है। इसका मतलब यह है कि आपको भविष्य में उस स्टॉक को 100 रुपये की कीमत पर खरीदने का अधिकार मिला है। अब अगर उस स्टॉक की मौजूदा कीमत 120 रुपये है, तो आप उसे 100 रुपये में खरीद सकते हैं। इसका मतलब यह हुआ को , आप स्टॉक को कम कीमत पर खरीदकर, बाजार की मौजूदा ऊँची कीमत पर बेच सकते हैं और मुनाफा कमा सकते हैं।
तो, दोस्तों स्ट्राइक प्राइस यह तय करता है कि आप ऑप्शन के जरिए कितनी कीमत पर स्टॉक खरीद या बेच सकते हैं। यही कारण है कि इसे समझना बेहद जरुरी है अगर आप स्टॉक मार्किट में ट्रेडिंग या इन्वेस्टिंग करने की सोच रहे है तो, क्योंकि यह आपकी ट्रेडिंग के लिए सही ऑप्शन चुनने में मदद करती है।
बिड और आस्क (Bid and Ask)
बिड (Bid): बिड वो कीमत है, जिस पर खरीदार ऑप्शन को खरीदने के लिए तैयार हैं। सोचिए, आप एक स्टॉक को खरीदना चाहते हैं और आपकी तरफ से कीमत 100 रुपये है। तो, 100 रुपये बिड प्राइस होगी।
आस्क (Ask): आस्क वो कीमत है, जिस पर विक्रेता (Seller) ऑप्शन को बेचने के लिए तैयार हैं। अगर Seller कहता है कि वह स्टॉक 105 रुपये में बेचेगा, तो 105 रुपये आस्क प्राइस होगी।
दोस्तों आपकी क्नॉलेज के लिए बता दे, इन दोनों कीमतों के बीच का अंतर ‘स्प्रेड’ कहलाता है।
स्प्रेड यह बताता है कि मार्केट में ऑप्शन की मांग कैसी है। अगर स्प्रेड छोटा है (जैसे बिड 100 रुपये और आस्क 101 रुपये), तो इसका मतलब है कि ऑप्शन की मांग अच्छी है और दोनों Buyer और Seller के बीच का अंतर कम है।
अगर स्प्रेड बड़ा है (जैसे बिड 100 रुपये और आस्क 110 रुपये), तो इसका मतलब है कि ऑप्शन के लिए मांग कम है या मार्केट में Uncertainty है।
ओपन इंटरेस्ट (Open Interest)
दोस्तों ऑप्शन चैन में ओपन इंटरेस्ट बताता है कि कितने ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट अभी भी खुले हैं और पूरी तरह से expire नहीं हुए हैं। इसका मतलब है कि कितने लोग किसी खास स्ट्राइक प्राइस पर ऑप्शन खरीद या बेच रहे हैं, लेकिन अभी भी वे ऑप्शन अपनी पोजीशन में हैं।
चलिए इसे उदाहरण से समझते है , दोस्तों अगर किसी स्टॉक के लिए 100 ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट ओपन हैं, तो इसका मतलब है कि 100 लोग अभी भी उन ऑप्शंस में लगे हुए हैं मतलब ट्रेड कर रहे है। इससे आप समझ सकते हैं कि किस स्ट्राइक प्राइस पर लोग ज्यादा एक्टिव हैं और किस पर कम। इससे आपको यह पता करने में मदद मिलती है कि बाजार में किस दिशा में ज्यादा मूवमेंट हो रही है।
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इन-द-मनी, एट-द-मनी, और आउट-ऑफ-द-मनी को बहुत ही आसान शब्दों में समझें
1. इन-द-मनी (In-the-Money)
जब आप ऑप्शन खरीदते हैं और उस ऑप्शन की स्ट्राइक प्राइस (वह कीमत जिस पर आप स्टॉक खरीद सकते हैं) स्टॉक की मौजूदा कीमत से कम होती है, तो इसे “इन-द-मनी” कहते हैं।
उदाहरण: मान लीजिए, स्टॉक की मौजूदा कीमत 150 रुपये है और आपके पास जो ऑप्शन है, उसकी स्ट्राइक प्राइस 140 रुपये है। यहाँ, 140 रुपये कम है 150 रुपये से, इसलिए यह ऑप्शन “इन-द-मनी” है। इसका मतलब है कि अगर आप ऑप्शन का उपयोग करें, तो आपको फायदा होगा।
2. एट-द-मनी (At-the-Money)
जब ऑप्शन की स्ट्राइक प्राइस और स्टॉक की मौजूदा कीमत एक ही होती है, तो इसे “एट-द-मनी” कहते हैं।
उदाहरण: मान लीजिए, स्टॉक की कीमत और ऑप्शन की स्ट्राइक प्राइस दोनों ही 100 रुपये हैं। यहाँ कोई अंतर नहीं है, इसलिए यह ऑप्शन “एट-द-मनी” है। इसका मतलब है कि आपको न तो फायदा हो रहा है और न ही नुकसान।
3. आउट-ऑफ-द-मनी (Out-of-the-Money)
जब ऑप्शन की स्ट्राइक प्राइस स्टॉक की मौजूदा कीमत से ज्यादा होती है, तो इसे “आउट-ऑफ-द-मनी” कहते हैं।
उदाहरण: मान लीजिए, स्टॉक की कीमत 90 रुपये है और ऑप्शन की स्ट्राइक प्राइस 100 रुपये है। यहाँ, 100 रुपये ज्यादा है 90 रुपये से, इसलिए यह ऑप्शन “आउट-ऑफ-द-मनी” है। इसका मतलब है कि अगर आप इस ऑप्शन का उपयोग करेंगे, तो आपको नुकसान होगा।
इन आसान उदाहरणों से आप समझ सकते हैं कि ऑप्शन की Position क्या है और ट्रेडिंग के दौरान इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है।
ऑप्शन चेन के डाटा को कैसे देखें?
ऑप्शन चैन का डेटा आप कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से प्राप्त कर सकते हैं। भारतीय बाजार के लिए, आप एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) की वेबसाइट पर ऑप्शन चैन का डेटा देख सकते हैं। इसके अलावा, कुछ ब्रोकरेज फर्म्स और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स भी ऑप्शन चैन की जानकारी प्रदान करते हैं।
ऑप्शन चेन के डाटा को समझने के लिए आप ये आसान स्टेप्स फॉलो कर सकते हैं:
▷ गूगल पर सर्च करें: सबसे पहले, अपने गूगल ब्राउज़र में जाएं और सर्च बॉक्स में टाइप करें “NSE India Option Chain“। यह आपको NSE इंडिया की वेबसाइट पर ले जाएगा, जहाँ ऑप्शन चेन का डेटा मिलेगा।
▷ NSE इंडिया वेबसाइट पर जाएं: सर्च रिजल्ट्स में सबसे ऊपर जो लिंक आएगा, वह आमतौर पर nseindia.com का होगा। उस लिंक पर क्लिक करें।
▷ ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स का चयन करें: वेबसाइट पर जाने के बाद, पेज के ऊपर से थोड़ा नीचे बाईं तरफ “View Options Contracts For” का विकल्प दिखाई देगा। इस पर क्लिक करें।
▷ स्टॉक चुनें: अब आपको उस स्टॉक का ऑप्शन चैन देखना है, जैसे निफ्टी, बैंक निफ्टी, या फिन निफ्टी। इस पर क्लिक करें। इसके साथ ही, एक “Select Symbol” का विकल्प दिखेगा। वहां पर जाकर उस स्टॉक को चुनें, जिसका आप ऑप्शन चैन देखना चाहते हैं।
▷ Expiry Date चुनें: उसके बाद, “Expiry Date” का विकल्प दिखाई देगा। यहाँ आपको उस डेट को चुनना है, जिस पर ऑप्शन की एक्सपायरी होगी।
दोस्तों इन सिंपल स्टेप्स को फॉलो करके आप ऑप्शन चैन के डाटा को आसानी से देख सकते हैं और समझ सकते हैं। इससे आपको ट्रेडिंग में बेहतर जानकारी मिलेगी और आप सही फैसले ले पाएंगे।
ऑप्शन चैन का उपयोग कैसे करें?
ऑप्शन चैन की मदद से आप अपनी ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग को कैसे बेहतर बना सकते हैं। आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं:
1. मार्केट सेंटीमेंट को समझें:
दोस्तों ऑप्शन चैन के जरिए आप यह जान सकते हैं कि बाजार में किसी स्टॉक या इंडेक्स ऑप्शन को लेकर लोग क्या सोच रहे हैं। अगर किसी खास स्ट्राइक प्राइस पर ज्यादा कॉल ऑप्शंस खरीदे जा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि लोग उम्मीद कर रहे हैं कि उस स्टॉक की कीमत बढ़ेगी।
2. सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल पहचानें:
ऑप्शन चैन में आप यह देख सकते हैं कि किस स्ट्राइक प्राइस पर सबसे ज्यादा ओपन इंटरेस्ट है। यह डेटा आपको बताती है कि स्टॉक का सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल कहाँ हो सकता है। सपोर्ट लेवल वह प्राइस होता है जहाँ से स्टॉक की कीमत नीचे नहीं जाती, जबकि रेजिस्टेंस लेवल वह प्राइस है जहाँ से स्टॉक की कीमत ऊपर नहीं जाती। बेहतर समझ के लिए निचे दिए गए इमेज को देखे
3. लिक्विडिटी का एनालिसिस करें:
दोस्तों आपको बता दे ऑप्शन चैन में बिड और आस्क प्राइस के बीच के अंतर, यानी स्प्रेड, को देखकर आप जान सकते हैं कि किसी ऑप्शन की लिक्विडिटी कैसी है। अगर स्प्रेड आपको छोटा दिखाई देता है, तो इसका मतलब है कि ऑप्शन को खरीदना या बेचना आसान होगा।
4. ऑप्शन स्ट्रेटेजी चुनें:
दोस्तों ऑप्शन चैन की डेटा इनफार्मेशन के आधार पर, आप अपने लिए अलग-अलग ऑप्शन स्ट्रेटेजी जैसे बटरफ्लाई, स्ट्रैडल, और स्ट्रैंगल का चयन कर सकते हैं। ये स्ट्रेटेजी आपको ट्रेडिंग में सही समय पर सही फैसले लेने में मदद करती हैं, जिससे आप ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट कमा सकते हैं।
ऑप्शन चैन का सही यूज़ कैसे करें?
1. समझदारी से निवेश या ट्रेड करें:
दोस्तों जब आप ट्रेडिंग में ऑप्शन चैन की जानकारी का सही से इस्तेमाल करेंगे, तो इससे आप समझदारी से निवेश और ट्रेड कर पाएंगे। ऑप्शन चैन आपको यह जानने में मदद करती है कि कौन से स्ट्राइक प्राइस पर लोग ज़्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं। लेकिन याद रखें, हर इन्वेस्टमेंट के साथ रिस्क भी होता है, इसलिए सोच-समझकर ट्रेडिंग या इन्वेस्टिंग से सम्बंधित कदम उठाएं।
2. समय का ध्यान रखें:
दोस्तों आपको बता दे ऑप्शन ट्रेडिंग में सही समय पर सही फैसला लेना बहुत ज़रूरी होता है। जब आप ऑप्शन चैन का एनालिसिस कर रहे हों, तो इस बात का जरूर ध्यान रखें कि आप कितने समय के लिए ट्रेड करना चाहते हैं। समय का सही एनालिसिस करने से आपको बेहतर रिजल्ट मिल सकते हैं।
3. बाजार की स्थिति का आकलन करें:
दोस्तों ऑप्शन चैन का सही से उपयोग करने से पहले, आपको मौजूदा बाजार की स्थिति को समझना होगा। इसके लिए आपको बाजार के ट्रेंड्स, ताज़ा खबरें और अन्य महत्वपूर्ण फैक्टर्स का एनालिसिस करना होगा। ऐसा करने से आप ऑप्शन चैन के डेटा को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे और सही फैसला लेकर मार्किट से अच्छा खासा प्रॉफिट कमा सकते है।
ऑप्शन चैन एनालिसिस क्या है: Option Chain Analysis Kya Hai
ऑप्शन चैन एनालिसिस किसी भी स्ट्राइक प्राइस के डाटा का Analysis करने की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में विभिन्न स्ट्राइक प्राइस के डाटा को बारीकी से समझना होता है। ऑप्शन चैन का डाटा हर मिनट में बदलता रहता है, इसलिए इसे ध्यान से देखना जरूरी है।
कैसे करें ऑप्शन चैन एनालिसिस:
ऑप्शन चैन एनालिसिस के लिए स्ट्राइक प्राइस के डाटा का गहराई से Study करना पड़ता है। नीचे दिए गए पॉइंट्स आपको इसे बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे:
- सबसे पहले, ओपन इंटरेस्ट (OI) और वॉल्यूम का Analysis करें। यह दोनों कॉल और पुट साइड में देखना जरूरी है।
- “एट दी मनी” से नीचे की स्ट्राइक प्राइस और “आउट दी मनी” की तरफ देखें कि वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट (OI) कहाँ पर ज्यादा है।
- यदि वॉल्यूम पास वाली स्ट्राइक प्राइस पर है, तो वह स्तर रेसिस्टेंस होगा।
- अगर ओपन इंटरेस्ट (OI) पास वाली स्ट्राइक प्राइस पर ज्यादा है, तो वही रेसिस्टेंस होगा।
- पुट साइड में भी इसी तरह सपोर्ट का पता लगाएं।
- ध्यान रखें कि डाटा लगातार बदलता रहता है, इसलिए नियमित रूप से अपडेट्स देखें।
- चेंज इन OI का विश्लेषण करें कि कॉल साइड में ज्यादा चेंज हो रहा है या पुट साइड में। इसके बाद, कॉल पुट रेश्यो का विश्लेषण करें।
- यदि रेश्यो 1 से कम है, तो आप खरीद सकते हैं।
- आपको सिर्फ कुछ प्रमुख स्ट्राइक प्राइस के डाटा का पुट कॉल रेश्यो निकालना है और इसे नियमित रूप से मॉनिटर करना है।
- यदि आपको लगता है कि मार्केट अपट्रेंड में है, तो कॉल खरीदें। और अगर मार्केट डाउनट्रेंड में है, तो पुट खरीदें।
- जिन स्टॉक्स में लिक्विडिटी ज्यादा होती है, उनमें ऑप्शन चैन एनालिसिस अधिक सटीक तरीके से काम करता है। उदाहरण के लिए, ICICI बैंक, रिलायंस, और टाटा स्टील जैसी कंपनियों में लिक्विडिटी अच्छी होती है।
PCR (Put Call Ratio) कैसे निकालें:
PCR को समझने के लिए, मान लें कि पुट का OI 1200 है और कॉल का OI 1500 है। PCR निकालने के लिए पुट के OI को कॉल के OI से भाग दें।
PCR=कुल कॉल OI/ कुल पुट OI
उदाहरण:1200/1500=0.8
यह रेश्यो 1 से कम है, जिसका मतलब है कि मार्केट में पुट ऑप्शन बेचने वालों की संख्या कॉल ऑप्शन की तुलना में ज्यादा है। आमतौर पर पुट ऑप्शन तब बेची जाती है जब बाजार ऊपर जाने की संभावना होती है।
इस प्रकार, ऑप्शन चैन एनालिसिस के माध्यम से आप बाजार के ट्रेंड्स का अनुमान लगा सकते हैं और सही निर्णय ले सकते हैं। नियमित अभ्यास और सही डाटा का विश्लेषण इस प्रक्रिया को आसान बना सकता है।
Conclusion
ऑप्शन चैन स्टॉक मार्केट में निवेश और ट्रेड करने वालों के लिए एक बहुत ही जरूरी टूल है। इसकी मदद से आप ये समझ सकते हैं कि बाजार में क्या हो रहा है, कौन से लेवल पर सपोर्ट और रेजिस्टेंस हैं, और मार्केट में कितनी लिक्विडिटी है। अगर आप ऑप्शन चैन को अच्छे से समझते हैं, तो इससे आपके ट्रेडिंग के फैसले और भी सही हो सकते हैं।
लेकिन, ये भी याद रखना जरूरी है कि ऑप्शन ट्रेडिंग में हमेशा कुछ न कुछ जोखिम होता है। इसलिए, ऑप्शन चैन की जानकारी का सही तरीके से इस्तेमाल करें और रिस्क को अच्छे से मैनेज करें। साथ ही, मार्केट की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही कोई कदम उठाएं, ताकि आप सही समय पर सही फैसला ले सकें।
इस आर्टिकल में हमने जाना ऑप्शन चैन को कैसे समझें, Option Chain Kya Hai, और ऑप्शन चैन एनालिसिस कैसे करते है आदि, मुझे आशा है की आपको यह इनफार्मेशन अच्छी लगी होगी, अगर आपका इस आर्टिकल से जुड़ा कोई सवाल है तोह हमे कमेंट सेक्शन में बता सकते है।
FAQs : Option Chain Kya Hai?
ऑप्शन चेन को कैसे समझें?
ऑप्शन चेन एक टेबल है जिसमें किसी स्टॉक के सभी ऑप्शंस के बारे में जानकारी होती है। इसमें कॉल और पुट ऑप्शंस, स्ट्राइक प्राइस, बिड, आस्क, ओपन इंटरेस्ट जैसी जानकारी होती है। यह जानकारी आपको बाजार में स्टॉक के रुझान और सपोर्ट-रेजिस्टेंस लेवल को समझने में मदद करती है।
ऑप्शन ट्रेडिंग में लाभ कैसे होता है?
ऑप्शन ट्रेडिंग में लाभ तब होता है जब आपके द्वारा खरीदे गए ऑप्शन का प्राइस बढ़ता है या आपकी ट्रेडिंग Strategy सही साबित होती है। कॉल ऑप्शंस में लाभ तब होता है जब स्टॉक की कीमत बढ़ती है, और पुट ऑप्शंस में लाभ तब होता है जब स्टॉक की कीमत गिरती है।
ऑप्शन कब खरीदना चाहिए?
ऑप्शन तब खरीदना चाहिए जब आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत आपकी उम्मीद के मुताबिक बढ़ेगी (कॉल ऑप्शन के लिए) या गिरेगी (पुट ऑप्शन के लिए)। इसके अलावा, ऑप्शन का प्राइस और मार्केट ट्रेंड भी खरीदने के समय को प्रभावित कर सकते हैं।
ऑप्शन का प्राइस कब बढ़ता है?
ऑप्शन का प्राइस तब बढ़ता है जब स्टॉक की कीमत आपके ऑप्शन की स्ट्राइक प्राइस के करीब आती है या उसे पार कर जाती है। इसके अलावा, बाजार में वोलैटिलिटी बढ़ने पर भी ऑप्शन प्राइस बढ़ सकता है।
ऑप्शन ट्रेडिंग में CE और PE क्या है?
CE का मतलब “कॉल ऑप्शन” (Call Option) है, जिसका उपयोग तब किया जाता है जब आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत बढ़ेगी। PE का मतलब “पुट ऑप्शन” (Put Option) है, जिसका उपयोग तब किया जाता है जब आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत गिरेगी।